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Sunday, April 10, 2011

शिक्षा क्षेत्र मे कोई भी शाखा एसी नही जहां विद्यार्थी का शोषण नही होता

अन्ना की जीत बनाम भ्रष्टाचार का प्रैक्टिकल!  शिवेंद्र कुमार 'सुमन'  Saturday April 09, २०११ http://blogs.navbharattimes.indiatimes.com
मैंने पूछा, ‘आप लोग नंबर कैसे देते हैं?’ सुनकर  मेरा मित्र हंसा। बोला, ‘आसान तरीका है - जो 200 रुपये देगा, उसे 18 नंबर, जो 150 रुपये देगा, उसे 15 नंबर और 100 रुपये में 12 नंबर।‘ उसने मुस्कुराते हुए कहा, ‘आजकल तो लोगों की कमाई इतनी हो गई है कि गरीब से गरीब आदमी भी 100 रुपये आसानी से दे ही देता है।‘
तो यह है बिहार में शिक्षा का हाल। आप अऩुमान लगा सकते हैं कि वहां शिक्षा के क्षेत्र में कितना विकास हुआ है और भ्रष्टाचार कितना कम हुआ है। मुझे पूरा विश्वास है कि नीतीश जी को भी यह सब मालूम होगा। फिर भी सबकुछ चल रहा है पूर्ववत।
शिवेंद्र कुमार 'सुमन' जी आप बिहार को क्यों बदनाम कर रहै है. पुरे भारत मे शिक्षा विभाग मे यही चल रहा है. महाराष्ट्र मे भी ये चल रहा है. फरक इतनाही है की महाराष्ट्र मे कमसे कम रुपये १००० से शुरुवात होती है.और १०००० से ज्यादा पैसा लागता है. और इस से भी भयानक बात  स्त्री छात्र की तो इज्जत दावं पर लगी राहती है. जरा महाराष्ट्र का भी दौरा करे ताकी आपको पता लगेगा. शिक्षा क्षेत्र मे कोई भी शाखा एसी नही जहां विद्यार्थी का शोषण नही होता. आप जरा मेरे साथ चले मै आपको सब शिक्षा का बेहाल दिखा  दुंगा.

 

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