यॆ सिर्फ् अन्ना की लड़ाई नही हर् भारतिय की लड़ाई हॆ यदि समय रहतॆ जन लॊकपाल बिल लागु नही किया तॊ इन भ्रस्ट् नॆताऒ कॊ जनता सॆ भगवान भी नही बचा पायॆगा.क्रान्ति का बिगुल बज चुका हॆ.
अन्ना हज़ारे ज़िंदाबाद.. भारत सरकार मुर्दाबाद,,कांग्रेस मूर्दाबाद ,गाँधी परिवार हाय हाय्,, मनमोहन सिह मुर्दाबाद
प्रधानमंत्री जो ईमानदारी का लबादा ओढ़े बैठे है और भ्रस्ट नेताओ को बचाने का प्रयास कर रहे है वह बगुला भगत की नीति है . "जब कर नही तो डर नही" के फार्मूला पर जनता के लोकपाल विधेयक से ऐतराज क्यो ? प्रधानमंत्री सहित सभी राजनेताओ, कर्मचारियो और व्यापारियो सहित आम नागरिक को विधेयक के अंतर्गत लाना होगा तभी इस देश से भ्रस्टाचार मिटाया जा सकेगा. ज्ञात आय के स्रोतो से अधिक संपत्ति रखने की भी जाँच होनी चाहिए ? कैसे एक थाने की दलाली से राजनीति शुरू करने वाले नेता 8-10 साल मे करोड्पति बन जाते है. कैसे ये राजनेता अपने क्षेत्र मे मतदाताओ को खैरात बात कर वोट खरीदते है ? कैसे एक लोकसेवक की पदवी रखनेवाले आईएस अधिकारियो व अन्य अधिकारियो के घर से रेड मे करोड़ो किी नकदी के साथ करोड़ो की अघोसित संपत्ति मिलती है . ये सब जाँच का विषय होना चाहिए . और जनता के इस प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के दायरे रखना चाहिए. ये कैसी विडंबना है कि लोकपाल की नियुक्ति का अधिकार . प्रधानमंत्री और उनके चाटुकार नेता अपने पास ही रखना चाहते है. ताकि जैसे थामस जैसा भ्रस्टाचर के आरोपो से घिरा हुआ व्यक्ति मुख्य सतरकता आयुक्त चुना गया. वैसे ही प्रधानमंत्री के इशारो पर नाचने वाला व्यक्ति लोकपाल बनाया जाया सके. यदि ये नेता इतने ही दूध के धुले है तो क्यो नही हज़ारे द्वारा सुझाए गये प्रक्रिया से लोकपाल चुनने का प्रस्ताव लाते है ? क्यो प्रधानमंत्री के नेत्रत्व वाली 3 सदस्य की समिति लोक[पाल को चुनने का प्रस्ताव लाना चाहते है ? ताकि अपनी मान माफिक रिपोर्ट बनवा सके. क्यो नही जाँच की सीमा 1 साल तय करते है ? क्यो नहिी कठोर सज़ा कॅया प्रावधान करते है ? आप यदि ईमानदार है तो डरने की क्या ज़रूरत है.? इसलिए मा0 प्रधानमंत्री जी यदि आप ईमानदार है तो इस जनता के लोकपाल विधेयक का समर्थन करिए .