जगात निरपेक्ष प्रेम करणारे काय कमी असतात का? प्रत्येक नवरा आपल्या बायकोवर प्रेम करतोच .त्याच प्रमाणे भारतात भव्य प्राचीन इमारती, मंदिरे काय कमी आहेत. तरीपण शहाजहान सारखा जनानखाना बाळगणारा, बांधकाम करणाऱ्याचे हात तोडणारा , बायको मेल्यावर तिच्या बहिणीशी निक्काह लावणाऱ्या राजा चे उदात्तीकरण करत मुमताज च्या प्रेमा खातर ताज महाल बांधला म्हणून ज्या प्रमाणे ताजमहाल चे बाजारीकरण करून खोटा इतिहास सांगत पर्यटकांना लुटले जाते मुमताज की कब्र पर कौन गिराता है आंसू ........!!
कहते हैं कि मुहब्बत के प्रतीक विश्व विख्यात ताजमहल में मुमताज की कब्र पर आज भी शाहजहां के आंसू गिरते हैं। ताजमहल दिखाने वाले गाइड भी ताज के हर कोने पर यात्री को ले जाकर एक नई कहानी ईजाद कर उसे सुनाते हैं। मुमताज की कब्र पर आंसू टपकना विषय तो गाइडों का सबसे पसंदीदा विषय है।
लेकिन हकीकत कुछ और है। वास्तविकता यह है कि मुमताज की कब्र पर गिरने वाले आंसू शाहजहां के नहीं बल्कि हर मौसम में गिरने वाली बरसात की बूंदें होती हैं।
कहानी यह है कि ताजमहल पूरा बन जाने के बाद शाहजहां ने फैसला लिया कि सभी कारीगरों के हाथ कलम करवा दिए जाएंगे। जिससे दूसरा ताजमहल कभी न बनाया जा सके। क्रूर शासक ने इस बात का एलान जब कारीगरों के बीच किया तो एक चतुर कारीगर ने राजा से कहा। जहांपनाह! ताजमहल के गुम्बद में कुछ दोष रह गया है। जिसे मेरे अतिरिक्त कोई नहीं सुधार सकता। अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं उसे ठीक कर दूं। बाद में आप मेरे हाथ कटवा दीजिएगा।
चतुर कारीगर की बातों में आ शाहजहां ने उसे दोष ठीक करने तक की मोहलत दे दी। लेकिन मौके का फायदा और क्रूर शासक से इनाम के बदले हाथ कलम करवाने का बदला लेने की नीयत से कारीगर ने ताज के गुम्बद में एक एसा सुराख कर दिया जो सीधे मुमताज की कब्र के ऊपर खुलता था।
सुराख करने के बाद कारीगर जब नीचे आया तो राजा ने उसके हाथ कलम करवाने का हुकुम दिया। जिस पर वह जोर-जोर से हंसने लगा। राजा ने इसका कारण पूछा तो उसने अपनी करतूत का खुलासा किया और कहा कि सुराख से हर मौसम में पानी की बूंद हम कारीगरों के आंसू बन कर मुमताज की कब्र पर गिरा करेगी। उस वक्त शाहजहां ने उस कारीगर के हाथ तो कलम करवा दिए लेकिन वह अपने जीवन काल में कभी भी उस दोष को ठीक न करवा सका। सो आज भी उस सुराख से पानी की बूंद मुमताज की कब्र पर गिरती है।
लेकिन हकीकत कुछ और है। वास्तविकता यह है कि मुमताज की कब्र पर गिरने वाले आंसू शाहजहां के नहीं बल्कि हर मौसम में गिरने वाली बरसात की बूंदें होती हैं।
कहानी यह है कि ताजमहल पूरा बन जाने के बाद शाहजहां ने फैसला लिया कि सभी कारीगरों के हाथ कलम करवा दिए जाएंगे। जिससे दूसरा ताजमहल कभी न बनाया जा सके। क्रूर शासक ने इस बात का एलान जब कारीगरों के बीच किया तो एक चतुर कारीगर ने राजा से कहा। जहांपनाह! ताजमहल के गुम्बद में कुछ दोष रह गया है। जिसे मेरे अतिरिक्त कोई नहीं सुधार सकता। अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं उसे ठीक कर दूं। बाद में आप मेरे हाथ कटवा दीजिएगा।
चतुर कारीगर की बातों में आ शाहजहां ने उसे दोष ठीक करने तक की मोहलत दे दी। लेकिन मौके का फायदा और क्रूर शासक से इनाम के बदले हाथ कलम करवाने का बदला लेने की नीयत से कारीगर ने ताज के गुम्बद में एक एसा सुराख कर दिया जो सीधे मुमताज की कब्र के ऊपर खुलता था।
सुराख करने के बाद कारीगर जब नीचे आया तो राजा ने उसके हाथ कलम करवाने का हुकुम दिया। जिस पर वह जोर-जोर से हंसने लगा। राजा ने इसका कारण पूछा तो उसने अपनी करतूत का खुलासा किया और कहा कि सुराख से हर मौसम में पानी की बूंद हम कारीगरों के आंसू बन कर मुमताज की कब्र पर गिरा करेगी। उस वक्त शाहजहां ने उस कारीगर के हाथ तो कलम करवा दिए लेकिन वह अपने जीवन काल में कभी भी उस दोष को ठीक न करवा सका। सो आज भी उस सुराख से पानी की बूंद मुमताज की कब्र पर गिरती है।
2 comments:
बहुत ही गलत और घटिया पोस्ट है. जो की बिना जानकारी के लिखी गयी है. सच्चाई ये है की शाहजहाँ ने कभी वो बनवाया ही नहीं था. वो प्रसिद्द शिव मंदिर तेजो-महल था. और बूँदें गर्भ गृह में शिवलिंग पर गिरती थी जो की हिन्दू कारीगरी का अनोखा नमूना है. कुछ भी पोस्ट करने से पहले थोडा सा गूगल कर लिया करें. लिंक दे रहा हूँ कृपया पढ़ लें......
http://www.stephen-knapp.com/was_the_taj_mahal_a_vedic_temple.htm
आपने पोस्ट पुरा पढा नाही. शहाजहान के झुठे प्यार का मायाजाल निर्माण करके ताज बाजारीकरण करके लोगोंको जो गुमराह किया जाता है उस पर शहाजहान कितना निक्कमा था ये दुनिया को समजने के लिये ये लिखा था. अगर आप मानते है ये हिंदू मंदीर था तो कोर्ट मे जाकर आयोध्या जैसा फैसला लेना चाहिये.
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