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Monday, January 24, 2011

जवाहर लाल नेहरू की नीतियों पर सवाल उठते रहे हैं

भारत की जनताके मन के भाव यही है. ११० करोड़ भारतीय जनता इससे सहमत है. आम आदमी जो दिल ही में सोचता वो मूर्ति ने खुल कर कही इसलिए उन्हें  भारतरत्न से सन्मानित कीया जाये. सच कभी छुप नही सकता.
कोलकाता. दुनिया की अग्रणी आईटी कंपनी इंफोसिस की स्‍थापना करने वाले नारायणमूर्ति ने देश की आर्थिक विकास में पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की नीतियों को बाधक बताया है। उन्‍होंने कहा कि अगर नेताजी सुभाष चंद्र बोस का राष्‍ट्र निर्माण में योगदान रहता तो आज भारत काफी आगे बढ़ चुका होता और हम चीन को पछाड़ने की स्थिति में होते।



 

नारायणमूर्ति ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि आजाद भारत के नेतृत्‍वकर्ताओं में बोस की गैरमौजूदगी काफी नुकसानदेह रही। अगर वह भी कर्ता-धर्ताओं में होते तो आर्थिक विकास, जनसंख्‍या नियंत्रण और खेती के आधुनिक तौर तरीके अपनाने में भारत कहीं आगे निकल चुका होता। उन्‍होंने नेता जी को भारत के सबसे साहसी नेताओं में से एक बताया।

इंफोसिस के चीफ मेंटर ने कहा कि यदि नेहरू की जगह नेताजी होते तो देश ने आज कहीं ज्‍यादा तरक्‍की की होती। नारायणमूर्ति ने कहा कि नेताजी औद्यौगीकरण के प्रति जवाहरलाल नेहरू की रुढिवादी सोच का बेहतर विकल्‍प साबित हो सकते थे।

नारायणमूर्ति ने एक ओर जहां नेताजी को श्रद्धांजलि दी वहीं केंद्र सरकार पर इस महान नेता को उचित सम्‍मान नहीं देने का आरोप लगाया। उन्‍होंने कहा, ‘यदि आजाद भारत के बाद देश की कमान नेताजी के हाथों में होती तो देश की तस्‍वीर कुछ अलग ही होती। नेहरू, श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी और सी राजगोपालाचारी के साथ वह एक ऐसी टीम बना सकते थे जो भारत के लिए कई अजूबे कर सकती थी। हमारा देश जनसंख्‍या प्रबंधन, कृषि के वैज्ञानिक तौर तरीकों और औद्योगीकरण के मामले में आज की तुलना में काफी आगे होता।’

नारायणमूर्ति ने कहा, ‘इन लोगों की वजह से हमारी नौकरशाही भी बेहतर तरीके से काम करती और देश का विभाजन भी नहीं हुआ होता। आज भारत चीन की जगह पर होता जो दुनियाभर में अर्थव्‍यवस्‍था के मामले में दूसरे पायदान पर खड़ा है।’

दुनिया के बेहतरीन प्रबंधकों में शुमार किए जाने वाले नारायणमूर्ति ने यह भी बताया कि आखिर क्‍यों नेताजी की मौजूदगी से देश की तस्‍वीर कुछ अलग होगी। उन्‍होंने कहा, ‘वह बोल्‍ड और बेलाग टिप्‍पणी करने वाले शख्‍स थे। यहां तक कि वह महात्‍मा गांधी से भी सवाल कर देते और उन्‍होंने गांधी जी की राय से असहमत होने की हिम्‍मत दिखाई।’ नेताजी को उचित सम्‍मान नहीं दिए जाने पर केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए नारायणमूर्ति ने कहा, ‘मैंने सुना है कि दिल्‍ली में कोई भी ऐसी जगह नहीं है जिसका नामकरण नेताजी पर हुआ हो। यह बेहद शर्म की बात है और हम उम्‍मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री इस दिशा में कदम उठाएंगे।’        

चीन ने की भारतीय पेशेवरों की तारीफ

चीन के आर्थिक विकास में भारतीय समुदाय के योगदान की सराहना करते हुए चीन के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने कहा कि उनका देश भारत से और आईटी पेशेवरों की उम्‍मीद करता है। कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ऑफ चाइना की स्‍थायी समिति के सदस्‍य डिंग जुएजियांग ने चीन के दौरे पर गए भाजपा अध्‍यक्ष नितिन गडकरी से कहा, ‘हम भारत के आईटी पेशेवरों का स्‍वागत करते हैं क्‍योंकि वे अच्‍छे होते हैं।’ 

आपकी बात:-
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की नीतियों पर सवाल उठते रहे हैं। कभी विपक्ष के नेता तो कभी कांग्रेस के ही सांसद शशि थरूर ने नेहरू की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। देश के मौजूदा हालात के लिए क्‍या नेहरू की नीतियां ही जिम्‍मेदार थीं? या फिर कई अन्‍य वजहें भी थी। आप अपनी राय नी‍चे कमेंट बॉक्‍स में लिखकर दुनियाभर के पाठकों से शेयर कर सकते हैं...
 

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