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Saturday, February 5, 2011

पुराने इतिहास को कब तक दोहराएंगे.... . आज वर्त्तमान के हालत देखो..... आप कहते है परदेश में सबसे जादा शिक्षित लोग डॉक्टर, इंजिनीअर भारत से है.ये लोग यंहा काम क्यों नहीं करना चाहते है? काभी आपने ये बात सोची.?. कल दिल्ही पर रविश की रिपोर्ट देखि. १०% विकास यानी पुरे देश का विकास नही. ये रिपोर्ट अवश्य देखे. बड़े शहर छोड़े तो हर गाँव के ये हाल है. ६० साल में हम अच्छे  रस्ते बनाने की तकनीक विकसित नही कर सके. बिजली का तो हमेशा का रोना है. खाजगी गाड़िया रस्ते पर है मगर रस्ते कंहा है. स्कूलों का बेहाल है. संस्कृत ही  नही तो प्रादेशिक भाषा भी ख़त्म हो रही है.  नैतिकता किस झाड़ की मुली है ये लोग पूछते है. भ्रष्ट्राचार , बेईमानी ये शिष्टाचार हो गया है. न्यूज पेपर बिकवु हो गये है.  स्वतंत्रा के बाद देशहित के लिये मिडिया की क्या भूमिका रही ये आइना लगाकर देखना पड़ेगा .मिडिया राडिया हो गया है. . बड़े उद्योगपति का योगदान विकास से ज्यादा भ्रष्ट्राचार बढ़ाने के लिये हुवा है. आज हम  भूदान से भूखंड माफिया का किताब हासिल कर चुके है. किस उद्योग को कितनी जमिन चाहिए इसका हमारे पास कोई हिसाब नहीं. इक यूनिवर्सिटी के लिये ६५०० एकर जमिन क्यों चाहिए इसका जबाब कोई नहीं देता .गरीबों की जमिन विकास के नाम पर हड़प  करो इसको आप विकास कहते हो तो ये विकास तुम्हे मुबारक. आज विकास के नाम पर भारत का भकास हो रहा है. खेल ये खेल से जादा बेईमानी भ्रष्ट्राचार बदनाम हुवे. इक पुल बंधने के लिये अखिर मिलट्री को आना पड़ा. IPL का सट्टा खुले आम चल रहा है. जनता बगावत ना करे इसलिए क्रिकेट  की नशा मे जनता को डुबो दीया. अनाज को जनता तरस रही है मगर शराब बनाने के लिये अन्नाज सडा दे रहे नेता अन्नाज से शराब में जादा दिलचस्पी ले रहे है .

1 comment:

aruna said...

नमस्कार
मि आपले ब्लोग नेहेमि वाचते. आपल्या काही पोस्ट्स तर खूपच सुन्दर असतात. मि त्या माझ्या फ़्रेन्ड्स ना पाठवू शकते क, तुमचे ठणठणपाळ हे नाव ठेवून?