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Thursday, September 8, 2011

कठपुतली प्रधान मंत्रीजी ये लम्बी लढाई है ...

जब जब बोमस्फोट होता तब तब  चिदंबरम उच्चस्तरीय अफसर शाही की उच्चस्तरीय बैठक पर बैठक लेते रहते है, चाकूरकर भी यही करते थे. दोनों के कपडे मात्र अति सफेद रहते है. चारीत्र्य का मालूम नाही.... इन सबके बेवकुफों जैसे इनके बयान आते रहते है ........, हर आला नौकारशहा, मंत्री  अलग अलग सुर मे बयानबाजी करता रहता है ........ कोई कहता पक्का सुराग मिला तो कोई कहता कच्चा सुराग मिला.  कोई मंत्री ये भगवा आंतकवाद है ये कहके अपने अक्कल के तारे तोडता....... तो बाकी नेता ये हरा.. पिला ...काला.... लाल.... अंतकवाद कहके चिल्लाते है...... पर मरनेवाला तो आम आदमी है ....ये कटु सत्य सब भूल जाते है.......    नतीजा शून्य एक और बडा शून्य..... फिर.... देशवासी के हिम्मत क़ी बात क़ी जाती....आम आदमी जीत गया के नारे लगाये जाते है..... कठपुतली प्रधान मंत्रीजी ये लम्बी लढाई है ....बयान करते ........मगर हम जीतेंगे ऐसा एक शब्द भी उनके मुहं से निकल नहीं पाता.....  सब शांती से चुपकेसे  भ्रष्ट्राचार मे लग जाते है.... .....और कुछ दिन के बाद फिर धमाके फिर वोही नाटक..... ....

इस से तो निचलीस्तर काम करनेवाले की बैठक लेके ठोस कदम सरकार क्यों नाही  उठती. क्या चल रहा है ये सबसे ज्यादा इसी स्तर के सामान्य कर्मचारी मालूम रहता है...... इंग्रज गए मगर ये काले नेता और अफसरशाही  ने देश का सत्यानाश कर दीया.

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