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Saturday, September 17, 2011

.और स्वर्ग में महात्मा गाँधीजी आंसू बहा रहे थे.....

मोदी ने गुजरात मे ३ दिन का अनशन सदभावना शांती अमन के लिये शुरू किया..... और पुरे भारत मे अनशन का मुद्दा सामने आया.....  सभी राजकीय पक्ष  मे हलचल पैदा  हुवी. ... कॉंग्रेस प़र भी इसका काफी असर  हुवा....... लालू ने भी अनशन करने  का फैसला किया था...... मगर राबडीदेवी ने उन्हे अनशन करने से मना किया........कियों की वो लालू के अनाज से लेकर चारा खाने की आदत से अच्छी तरह वाकीफ थी...... ...   राज ठाकरे ने भी अनशन करने का फैसला कीया था.... मगर ठाकरे घराना अनशन से ज्यादा खाने में और ठोकशाही में विश्वास रखता इसी लिये ये गाँधीवादी मार्ग से चलने से उन्हें मना कीया........   उधर उद्धव ठाकरे ने भी अनशन पर बैठने का इरादा अपने फोटोग्राफी और  कैमरे के  शौक के खातिर छोड़ दीया......... जय ललिता  ने तो अपने मंत्री और प्रतिनिधि को ही मोदी के ही अनशन में भेज क़र खुद का अनशन से छुटकारा प्राप्त कीया......





  कान्ग्रेस की तरफ से प्रणव दा को मैदान में उतरने का निर्णय लिया गया था......... मगर प्रणव दा ने उनपर अर्थमंत्रालय के साथसाथ पंतप्रधान कार्यालय का भी भार है....... और ट्रबल शूटर के नाते उन्हें बहोत भागदौड करना पड़ती है इस लिये वो अनशन के लिये बैठ नही सकते ये कहकर अपनी मजबूरी जाहीर की....... सिब्बल , चिदंबरम तो पहले से ही अनशन के खिलाफ थे, और वो अनशन को सरकार को ब्लैक मेल करने का जरिया कहते थे ....इसलिए वो अनशन प़र कैसे बैठ सकते थे........अखिर हायकमांड  ने इस विषय प़र कांग्रेस आला कमान की बैठक खुद बुलायी ............
मगर नतीजा कुछ भी नही निकाला.... अनशन के वास्ते सब नेता बोने नजर आने लगे थे.......कुछ खाए पिए बगैर वो एक सेकंद भी जिन्दा नही रहा सकते थे............इसीलिए अखिर हायकमांड ने  फैसला लिया.

...............   कल से ही हायकमांड सोनिया गांधीजी खुद  पंतप्रधान  मंत्रीजी मनमोहनजी  के साथ नेहरूजी के समाधी स्थल शांतिवन  में  ३ दिन के अनशन के लिये बैठने का निर्णय जाहीर कीया....... मनमोहनजी को छोड़कर सबने राहत की साँस ली..........  मनमोहनजी कुछ कहना चाहते थे मगर तालियों की गूंज में उनकी बात दब गयी........उन्होंने  प्रणव दा के चेहरे प़र नजर डाली तो उनके चेहरे प़र एक रहस्यमय मुस्कान थी..... पंतप्रधान समझ गये...ये उनकी ही चाल है........   और कांग्रेस ने, अहिंसा , आमरण अनशन को  कांग्रेस की ही अटूट परंपरा बताते हुवे इसी दो हत्यार के साथ इंडिया को स्वातंत्र्य दिलाया ये जनता को अवगत कराया........मगर  गये कुछ दिनोसे कुछ राष्ट्र विघातक शक्तियां इसे अपना खुद  का हत्यार मानते हुवे सरकार को ब्लेकमेल क़र रही थी..........आन्ना ने इस का दुरुपयोग करते हुवे सरकार को लोकपाल के लिये मजबूर कीया. साथ में युवा वर्ग को भ्रष्ट्राचार के खिलाफ भड़का क़र लोकप्रतिनिधि सांसद को काम करना मुश्किल कीया ........   इसीलिए इन सबका मुकाबला करने के लिये और सरकार की साख विश्वसनीयता बचाने के खुद अनशन के मैदान में उतरने का फैसला लिया.......... वैसे भी बड़े ओपरेशन के बाद खाने के लिये बंधन तो है ही........... अनशन के वक्त कीसी हाय कमिटी का रोजाना काम देखने के लिये गठन करनेसे भी हाय कमांड ने इंकार कीया........गये वक्त का इस कमिटी ने जो सरकार की परेशानी बढाई थी. इस निर्णय से कांग्रेस में ख़ुशी की लहर उठी.... और सब नेता लोग जनता जुटाने के काम में लग गयी....... हर नेता को कोठा दीया गया.........शांतिवन में ७ स्टार पंडाल खड़े करने का जिम्मा शिला दीक्षित को दीया गया.... ....
जाते जाते ये खबर मिली है की ........ हाय कमाड सोनियाजी और मनमोहनजी का आत्मबल बढ़ाने के लिये और उन्हें अनशन की शक्ति मिले इसलिए तिहार जेल में राजा कलमाड़ी , कानमोली और रेड्डी बंधुने भी अनशन करने का फैसला कीया है...........
............और स्वर्ग में महात्मा गाँधीजी आंसू बहा रहे  थे....... जब राजकर्त्ये ही अपना राज चलाने का काम छोड़कर अनशन प़र बैठने लगे तो शासन कोन करेगा ये चिंता उन्हें सता रही थी..............

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