भारत ऐक ऐसा देश है जहां आबादी से ज्यादा भगवान देवता बसते है . मंदिर
मज्जीद गुरुद्वार , स्वर्गवासी हुवे लोगों की समाधी , पैगंबरवासी की कबर
, प्यार मे अल्लाह को प्यारे हुवे प्रेमियों की मजार पर भी सर्वधर्मीय
लोग भक्तीभाव से मथ्था टेकने जाते है. इतना ही काफ़ी नही तो रास्ते पर पड़े
पत्थर को भी शेंदुर भगवा रंग लगाकर उसे भी देवता के रूप में पूजा जाता है.
बम्बई जैसे रफ़्तारभरे महानगरों में भागदौड में भी आदमी भागते दौड़ते
कीसी सड़क के कीनारे पत्थर की मूर्ति देखकर सर झुका लेता है. ...... इतनी
श्रद्धा दुनिया में कंही नही.............
............... और इसी श्रद्धा का दुरुपयोग करके मौत के बाद का स्वर्ग नरक का
झूठा जाल फैलाकर जनता को लुटा जा रहा है. जंहा आदमी के खाने के लिये एक
वक्त की रोटी नसीब नही वंही पत्थर की मूर्ति को छपन भोग लगाये जाते है यह
विडम्बना है. आप भ्रष्ट्राचार, पाप , काला बाजार , बेईमानी करके हजारो
करोडो रुपये कमावो और इस काले कमाई का १०% से २५% हिस्सा भगवान इष्ट देवता
को चढ़ावा दो आप पाप मुक्त हो जाते है. फिर नया भ्रष्ट्राचार करने के लिये
आपको अधिकार मिल जाता है.
इस बेईमानी के धंदे में श्रद्धालु सबसे ज्यादा तिरुपति बालाजी और शिर्डी के
साईं बाबा मंदिर को अपने धंदे में स्लीपिंग भागीदार कह के रखते है. अब ये
काला धन तो सार्वजानिक रूप से आप दे नहीं सकते तो वो दान गुप्त रुपमे देने
की भी व्यवस्था है. इस लिये यहाँ बड़ी बड़ी हुंडी यां हांड़ी जगह जगह मंदिर
में रखी होती है यंहा आप दान में कुछ भी डाल सकते है. इस में आप कितना काला
धन सोना चांदी डाल रहे है ये कोई देख नही सकता क्यों की ऊपर सफ़ेद कपडे का
आवरण लगा रहता है. इंडियन लोकशाही में जनता को ही नही भगवान को भी धोका
देने के लिये ये सफ़ेद कपड़ा बड़े काम में आता. ना रसीद ना लेनदेन का हिसाब
सब कुछ भगवान के पुजारी यानी दलाल के भरोसे . गुप्तदान देकर अपने
पापोंका , बेईमानीका नाश करो और मुक्ति पावो ये कोनसे धार्मिक किताब में
लिखा है.? मगर इस गुप्तदान देनेवाले लेनेवाले बेईमानो की वजह से आम आदमी को
देवता दर्शन मुश्किल हो गये. आम आदमी के पास कुछ ज्यादा
संपत्ति मिली तो सरकार उसे जीना हराम क़र देती है. मगर इस भ्रष्ट्र काले करोड़ों की संपत्ति को
बढ़ावा देने का काम सरकार ही
करती. कीसी भी जाती, धर्म पंथ का नागरिक को धार्मिक गुप्तदान देने से और
ईन धार्मिक संस्थानों के गुप्तदान लेने से कानूनन बंदी की जाय. भगवान के
नाम पर अपने बेईमानी की दुकान चलाने वाले दलाल ने तो अपनी देवता की मूर्ति
का भी मालकाना हक्क का रजिस्ट्रेशन करना शुरू कीया है. लालबाग के गणेशजी के
मूर्ति का भी पंजीकरण कीया गया है ये आज ही पेपर में पढ़ा. ऐसी गणेशजी की
मूर्ति बनाकर दुसरे लोग जनता को ना लूटे.... वो लुटने का हक्क सिर्फ हम को ही
है ऐसा इसका सीधा सीधा अर्थ निकालता है.
पंढरपुर के विठोबा रुक्मिणी के दर्शन के लिये पैदल जाने वाले लाखो
भोलेभाले वारकरी की संख्या देखते हुवे पैसे के ठेकेदारोने उसका भी इव्हेंट
उत्सव बना दीया और पैसा बनाना शुरू कीया. कुछ दिन के बाद तो अपने घर में
भी कोई भगवान की मूर्ति लगाई उसकी उपासना की तो उसपर रोयल्टी आपको देना
पड़ेगी. जय हो भगवान जय हो भगवान जय हो.
4 comments:
एकदम बरोबर आहे. सामान्य भक्त केवळ दर्शनाच्या अभिलाशेपायी पायपीट करून आपल्या घामाच्या कमाई तला काही भाग परमेश्वराच्या चरणी अर्पण करायला जातो आणि अशा लक्ष्मिपुत्रांच्या मागून दर्शन मिळवतो, गोष्ट इथेच संपत नाही तर मनात आपण लोकांच्या मानाने काहीच देवाला देत नाही हा कमीपणाचा भाव पदरात घेऊनच परत येतात. अशावेळी वाटत की खरच देव आणि देवत्व आता फक्त श्रीमंत लोकांच्या कक्षेतला विषय झाला आहे की काय ?
bahoot kooob bahoot kooob good different keep it up
Rakesh Kumar 09 July 21:21
All humans are children of god, India is Having 33 crores of god. Thats why so much population explosion in India. :-)
Vitthal Khillare 09 July 21:20
BILKUL SATEEK .Aapke sahas ko Naman !
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