भ्रष्ट्राचार के विभिन्न मामले की पोल कुलाने के बाद सरकारने इस भ्रष्ट्राचार के पोलखोल के पीछे क्या राज है इसका अध्ययन करने के लिये एक उच्चस्तरीय मंत्री गट की स्थापना की थी. इस मंत्री गट ने भ्रष्ट्राचार के मामले मे फसे राजा , कलमाडी , कानमोली इन सब की तिहार जेल में जाके खास गुप्त बातचीत की ......
और सरकार के सामने इस पोलखोल का राज रखा. भ्रष्ट्राचार के मामले में पैसे की लेनदेन नगदी रूपया दे क़र की जाती है. इस में हजार पाचसों के नोट भारी काम करते है. लाखो करोडो की रिश्वत ईन नोटों द्वारा दी जाती है. १ करोड़ की भी रिश्वत देनी हो तो १००० के सिर्फ दस हजार नोट यानी १०० बण्डल दिये तो काम होता है. मगर अब रिश्वत की मात्रा हजारो लाखो करोडो के ऊपर पहुँच गयी इस लिये ये १००० के नोट काम क़र नही रहे. और फिर इतनी बड़ी मात्रा में भ्रष्ट्राचार की रक्कम देने लेने के लिये बैंक अकाउंट का सहारा लेना पड़ा. पैसे की हेरा-फेरी करने के लिये जाली बैंक अकाउंट , कंपन्या , बाहर के कंपनी से गैर क़ानूनी लेनदेन करके ये रिश्वत भ्रष्ट्रचारी के नाम जमा हुवी. और ये भ्रष्ट्र व्यवहार लिखित रूप में होने से CBI इनक्वायारी में पोल खुल गयी . और फिर महाभारत हुवा. मंत्रीगण को जेल जाना पड़ा सरकार की बदनामी हुवी. अगर हजार के ऊपर के कीमत के बड़े नोट चलन में रहते तो ये हेराफेरी लिखितरूप में कराने की नौबत आती ही नही और पोल भी नही खुलती. इस लिये राजा , कलमाडी , कानमोली इन तीनो ने १००० के उप्पर के कीमत की नोट सरकारने छापने की शिफारिश की. इस शिफारिश को बड़ी मल्टीनेशनल कंपनिया , अमेरिकन लोबी भ्रष्ट्राचारियों तुरंत सहमति जताई. और भारत के अर्थशास्त्री पंतप्रधान ने तुरंत पच्चास करोड़ कीमत की नोट छापने का निर्णय लिया. इतनी बढ़ी नोट से दुनियामे भारत की साख बढ़ेगी अमेरिका से भी आगे भारत निकल गया है यह कहते हुवे उन्होंने इंडिया के नागरिक को बधाई दी और भारत की नागरिक को थोडा सब्र रखने को कहा और नए इंडिया के विकास के लिये त्याग करने के लिये कहा.
1 comment:
Vs Rawat यह एक जोक है, कटाक्ष है। इतनी गंभीरता से लिखा गया है कि लोग इसे सच ही मान लेते।
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