Two sided sculpture Mephistopheles and Margaretta
सालारजंग म्यूजियम यह देश
का अकेला ऐसा संग्रहालय हैं जिसमे अधिकाँश संकलन एक ही व्यक्ति द्वारा किया गया हैं,
वो हैं निजाम शासन के तीसरे और अंतिम प्रधानमंत्री यानि सालारजंग III जिनका पूरा नाम
हैं - नवाब मीर युसूफ अली खान बहादुर. इस म्यूजियम मे डबल स्टेचू की एक दुहरी मूर्ति
हैं. सामने से देखने पर एक खुशहाल बूढ़े व्यक्ति की मूर्ति हैं. जिसके हंसते हुए मुखड़े
के साथ सिर ऊपर उठा हैं। इसके पीछे बड़ा आइना रखा हैं। आईने में पीछे की मूर्ति दिखाई
देती हैं, यह मूर्ति एक भद्र महिला की हैं जो सिर थोड़ा झुकाए खडी हैं। और यही ही सभ्यता
. पुरुष जो तान कर खडा है. तो दुसरी बाजू मे पुरुष जो सीना तान कर खडा है उससे उसकी
पीठ थोढी झुकी हुवी है...शिल्पकार ने यहीं अपनी करागीरि का गजब का प्रदर्शन कीया. उस
झुकी हुवी गर्दन पीठ मे उसने एक शालीन आदब से सर झुकायी महिला का बेजोड शिल्प बनाया.
देखने वाले ये शिल्प देखते दंग रह जाते है.........और यही है पुरुष और महीला का यतार्थ
चरीत्र चित्रण. मगर आज के समाज जीवन मे इसके विपरीत चित्र दीखता है. जी पुरुष को छाती
तान कर रहना चाहीये वो कंधे झुकाकार चलता है ...और महीलायें छाती खुली छोडकर घुमती
है.........आज वो शिल्पकार और शिल्प बनता तो वो महीला को छाती तानकर खडा हुवा बताता....और
पिछले बाजू कंधे गिरा खडा आदमी का शिल्प बनाता....
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