Translate

Thursday, June 2, 2011

देश को लुटने का षड्यंत्र गोपनीयता के कायदे का सहारा लेके बुना गया.

स्वित्ज़रलैंड दुनिया के काले धन कमाने वालों का स्वर्ग कहा जाता है. अमेरिका और दुनिया के तमाम शासक और बेईमान, भ्रष्ट्र , चोर, देशद्रोही कालाबाजार करने वाले उद्योगपति, व्यापारी, दलाल इन लोगोने खुद के स्वार्थ के लिये दुनिया के  भ्रष्ट्रचारी लोगोने  देश की अर्थव्यवस्था  खोखला करने का ये कारभार गये १७ वे शतक से  से सुरु कीया. और इस में दुनियाभर के हुकुमशाह से लेके लोकशाही के तमाम नेता सामिल हुवे और इन्होने इस भ्रष्ट्र व्यवथा का चोरी छुपे समर्थन ही कीया. जैसे जैसे कंपनीका कारभार बढ़ता गया कम्पनियोने ज्यादा अतिरिक्त मुनाफा इन बैंको में रखना शुरू कीया और खुद के स्वार्थ के लिये गोपनीयता के नियम बनाकर इसे गुपित रखना शुरू कीया.


५० के दशक में भारत स्वतंत्र हुवा और लोकशाही राज शुरू हुवा. मगर चंद दिनों में ही इन्ही जनता के नेता ने इन्ही स्विस बैंक में शासन करते हुवे कमाया कला धन जमा करना शुरू कीया. ये कला धन चुनाव में मत खरेदी बिक्री करने के काम आने लगा. नेता के साथ भ्रष्ट्र उद्योगपति भी इसमें शामिल हुवे. और देश कंगाली की तरफ बढ़ने लगा. जब जनता ये पैसा वापस लावो नारा करने लगी तब गोपनीयता का सहारा लेते हुवे ये रक्कम देश में नही लायी जा सकती ये जनताके नेते ही बेशरमी से कहने लगे.
ये गोपनीयता का कानून का दुरुपयोग करके ये भ्रष्ट्र लोग देश में भी बेईमानी करने लगे.

 देश के बाहर स्विस बैंक और देश के अन्दर सरकारी बैंक द्वारा देश को लुटने का षड्यंत्र गोपनीयता के कायदे का सहारा लेके बुना गया. बड़ी बड़ी कंपनिया उद्योगपति का लाखो करोडो का कर्ज टेबल के निचे से रिश्वत लेके माफ़ करना चालू हुवा. उसी वक्त ५-२५ हजार के कर्ज के लिये गरीब, मध्यम वर्ग को बैंक का इसकदर परेशान करने लगी की इन लोगो ने किसान ने आत्महत्त्या करनी शुरू की . और सरकार बेशरमी से कहने लगी इन आत्महत्त्या करने वाले किसान में हिम्मत नही.

माहीती अधिकार कानून लागु २००५ में हुवा. मगर इस भ्रष्ट्र व्यवस्था ने बैंक व्यवहार , कर्ज माफ़ी इन बातो को सूचना अधिकार से गोपनीयता के कानून अंतर्गत जाहीर करने से मना कीया. और भ्रष्ट्राचार को सहारा दीया. CIC का मुख्य कार्यालय भी इस कट कारस्थान में शामिल हुवा ये शर्म की बात है. और CIC भी कहता है कर्ज माफ़ी किसे मिली ये जाहीर करना देशहित के लिये खतरनाक है. CIC अब सरकार का पालतू कुत्ता बन गया है.
अब जनता को ही आवाज उठाना पड़ेगा.  अंतरराष्ट्रीय  समुदाय अगर एक देश दुनिया की सुनता नही तो उसका बहिष्कार क़र देता है और उसे बात मानाने पर मजबूर करता है अमेरिका इस काम में माहीर है और दुनिया भर अपनी दहषद बिठाने के लिये इस हत्यार का दुरुपयोग करता है. जो स्वित्ज़रलैंड भारतका काला धन वापस नही क़र रहा है उसी स्वित्ज़रलैंड की शेकडो स्विस कंपनिया भारत में कारभार क़र रही है. और हजारो करोडो का मुनाफा कमा रही. सरकार तो बेईमान को सहारा दे रही है. अब जनताने ही आगे आना चाहीये . इन स्विस कंपनियों के हजारो उत्पादन भारत में बिकते है जसे स्विस घडी, चोकलेट्स  जनता ने इस कंपनी के उत्पादन पर बहिष्कार डाला तो कारभार बंद होने की चिंतासे स्विस सरकार खुद काला धन की मालूमात देगी. साथ में स्विस कंपनियों की लिस्ट है. और भारत के बैंक की बड़े कर्ज माफ़ी जाहीर करने का भारत के भ्रष्ट्र शासन और CIC पर दबाब डालना चाहीये. कृपया आपकी राय अवश्य दे.

No comments: