हे रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा ,हंस चुगेगा दाना तुनका कौवा
मोती खायेगा |मंदिर सूने -सूने होंगे भरी रहेंगी मधुशाला |राजा और प्रजा
दोनों में होगी निस दिन खींचांतानी ,कदम-कदम पर करेंगे दोनों अपनी-अपनी
मनमानी |अरे जिसके हाथ में होगी लाठी भैंस वही ले जायेगा i सीते बोलीं ”
प्रभु क्या कलयुग में धरम -करम नहीं होगा ? प्रभु बोले धरम भी होगा करम
भी होगा परन्तु शर्म नहीं होगी | जैसा हठ व् बेशर्मी ये
मोजुदा सरकार दिखा रही है ,न भाषा पर नियंत्रण न उम्र का आदर भाव इसको देख
कर चीन के थियानमन चौक की याद आ रही है | ............अन्ना रहेगा भूखा प्यासा और कसाब बिरयानी खाएगा।
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