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Wednesday, February 27, 2013

चल सन्यासी मंदिर में......

  चल सन्यासी मंदिर में, तेरा चिमटा मेरी चूड़ियाँ दोनों साथ बजाएंगे
 साथ\-साथ खनकाएंगे क्यूँ हम जायें मंदिर में, 
 पाप है तेरे अंदर में लेकर माला कंठ दुशाला राम नाम गुन गायेंगे
         
        धर्म छोड़कर, ध्यान छोड़कर पाप नहीं अपनाएंगे प्रेम है 
            पूजा प्रेम है पूजन प्रेम जगत है प्रेम ही जीवन
      मत कर तू अपमान प्रेम का प्रेम है नाम प्रभू का बड़ा ही पावन
            प्रेम\-प्रेम कर के मुझको कर देगी अब तू पागल 
            मेरा धीरज डोल रहा है, लाज रखे गंगा जल
     चल सन्यासी मंदिर में, तेरी माला, मेरा गजरा गंगा साथ नहायेंगे

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