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Monday, August 6, 2012

ये स्टुपिड कॉम्मन मैन कैसे जाग गया......

Exceptionally dialogs from The Movie “A Wednesday” you must read the all

शाह : आपके घर में ओक्क्रोअच आता है तो आप क्या करते है राठौर साहब , आप उसको पलते नहीं मरते है ये चारो ओक्क्रोअच मेरा घर गन्दा कर रहे थे , और आज मई
आपना घर साफ़ करना चाहता हु .

खेर: तुम , तुम हो कौन ??




शाह : मई वो हु जो आज बस और ट्रेन में चड़ने से डरता है , मई वो हु जो काम पे जाता है तो उसकी बीवी को लगता है की जंग पर जा रहा है , पता नहीं लौटेगा या नहीं, हर दो घंटे बाद फ़ोन करती है की चाय पी की नहीं? खाना खाया की नहीं ? दरअसल वो ये जानना चाहती है की मै जिन्दा हु या नहीं . मै वो हु जो कभी बरसात में फसता है ,कभी ब्लास्ट में . मै वो हु जो कभी किसी के हाथ में तस्बीह देखकर शक करता है !और मै वो भी हु जो आजकल दाड़ी बढाने और टोपी पहनने से घबराता है , बिज़नस के लिए दुकान खरीदता है तो सोचता है की नाम क्या रखु !! कही दंगे में मेरा नाम देखकर मेरी दूकान ना जला दे. झगडा किसी का भी हो बेवजह मरता मै ही हु !! भीड़ तो देखि होगी ना आपने., भीड़ में से कोई इक शक्ल चुन लीजिये, मै वो हु. "आई ऍम जस्ट अ स्टुपिड कॉम्मन मैन, वान्टिंग टु क्लेन हिज हाउस.

खेर: आज अचानक ये स्टुपिड कॉम्मन मैन कैसे जाग गया, वो भी छे किलो आर डी अक्स के साथ..

शाह : कू, जाग गया तो तकलीफ हो रही है ?? जिन्दगी भर घुट -घुट के मरते रहना चाहिए था मुझे .. और ये अचानक नहीं हुआ है राठौर साहब , यु कहिये की टाइम नहीं मिला , रोजी - रोटी के चक्कर में ये काम जरा नेगलेक्ट हो गया , लेकिन देर आये दुरस्त आये.. वो बाकी का अक कोकरोच भी आज ही मरेगा ..

खेर: लेकिन ये चार ही क्यों ?? और भी तो है ..

शाह : मैंने लोत्तेरी निकली इन चारो का नाम आया ..

खेर : तुम ये कह रहे हो की , अगर हमने इस अक इब्राहीम को नहीं मारा , तो ना जाने कितने बेगुनाहों को तुम मार दोगे

शाह : अरे , वे लोग तो वैसे भी मरेंगे , राठौर साहब , आज नहीं तो कल और , इब्राहीम खान जैसे ही लोग मारेंगे उन्हें . पिछली बार ट्रेन में मारा इस बार कंही और मारेंगे , और तब तक मारते रहेगे जब तक हम इन्हें जवाब देना नहीं सीखेंगे ..

खेर : तुम हो क्या ??

शाह : मेने कहा ना आई आयम जस्ट द स्टुपिड कॉम्मन मैन

खेर : स्टुपिड कॉम्मन मैन

शाह : राईट

खेर : तुम ये मत सोचना की तुम आम आदमी का झंडा दिखाकर बच जाओगे , तुम जो साबित कर रहे हो ना वो ..

शाह : मै साबित कुछ नहीं कर रहा हुई , राठौर साहब मई सिर्फ आपको याद दिलाना चाहता हु की लोगो मई गुस्सा बहुत है उन्हें आज़माना बंद कजिये . "We are Resiliant By Force Not By Choice." आपको बेबस करने में मुझे सिर्फ चार हफ्ते लगे . आपको क्या लगता है की जो लोग हमें मारते है वो हमसे ज्यादा इन्तेल्लिजेंट है . अरे इन्टरनेट पर बोम्ब टाइप करके सर्च मारिये तीन सौ बावन साइटेस मिलेंगी , की बोम्ब कैसे बनाया जाता है , क्या - क्या क़ुइप्मेन्त इस्तमाल होता , सारा इन्फ़ोर्मसिओन आसानी से एक्सेस होता है मुफ्त में . आप जानते है की कपडे धोने का साबुन तक अक Potential Bumb होता है , मुझे लगता है के आम आदमी के लिए इससे ज्यादा उसेफुल प्रोडक्ट आज तक नहीं बना . गलती हमारी है हम लोग बहोत जल्दी Used To हो जाते है , अक ऐसा हादसा होता है तो चैनल बदल - बदल कर सारा माजरा देख लिया समस किया फ़ोन किया , शुक्र मनाया की हम लोग बच गए और हम उस Situation से लड़ने की बजाय हम उसके साथ Adjust करना शुरू कर देते है . पर हमारी भी मज़बूरी है ना , हमे घर चलाना होता है साहब , इसलिए हम सर्कार चुनते है की वो मुल्क चलाये . आप लोग , सर्कार , पोलिसे फाॅर्स , Intelligence सक्षम है इस तरह के पेस्ट कण्ट्रोल के लिए , लेकिन आप लोग कर नहीं रहे है , सिर्फ शाह Diये जा रहे है .. Why Are You Not Nipping Them In The Bud ?? इक आदमी गुनाहगार है या नहीं
इसको साबित करने मई आपको दस साल लग जाते है , आपको ये नहीं लगता है की ये आपकी क़ाबलियत पर सावल है , ये सारा नाटक बंद होना Chahiये , This Hole Blady System Is Fraud. आप जैसे लोग इन कीड़ो का सफाया नहीं करेंगे तो हमें झाड़ू उठानी होगी , लेकिन क्या है उससे हमारी Civilized Society का बैलेंस बिगड़ Jayeगा , लेकिन क्या करे , राठौर साहब मुझे यकीं है की जो ट्रेन ब्लास्ट Huये वो सिर्फ अक Terrorist activity नहीं थी , वो अक बहोत बड़ा सवाल था , और वो सवाल ये था की Bहै हम तो तुम्हे इसी तरह मारेंगे , तुम क्या कर लोगे ?? "Yes, They asked UsThis Question On A Friday, Repited It On Tuseday And I Am Just Replaying On Wednesday."

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