जिंदगी
और मौत ऊपर वाले के हाथ है जहाँपनाह, उसे ना तो आप बदल सकते हैं ना मैं.
हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं जिनकी डोर ऊपर वाले की उँगलियों में
बंधी है. कब, कौन, कैसे उठेगा ये कोई नहीं बता सकता है. हाः, हाह, हाह, हाह
हा........" आनंद मरते नहीं.........
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