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Friday, February 10, 2012

उत्तरप्रदेश की चुनावी तमाशे में प्रियंका गाँधी को उसके छोटे बेटे रेहान और बेटी मिराया के साथ उतारा है...

बाल कामगार ये जागतिक समस्या है. माँ खाना  नहीं देती, बाप पढ़ना नहीं देता इसी वजह घर का खर्चा उठाने के लिये बालक पढाई की जगह मजबूरन  मजदूरी करना शुरू कर देता है......सस्ते दाम में काम हो जाता है और मुनाफा बढ़ता है. इस वजह उद्योगपति बेपारी इन मासूम बालक को काम पर रख देता है...   इस बात को तो सब समझ सकते है.... ...मगर आज का उच्च वर्ग जिसे पैसे की कोई कमी नहीं, ऐसे सधन संपन्न परिवार के माँ बाप भी अपनी लालसा, स्वार्थ ,मतलब , हवस  के लिये अपनी ही ओलाद का इस्तमाल करते है..... ऐसे करने में उन्हें कोई शरम, लज्जा नहीं आती बल्कि वो गर्व महसूस करते है..



इसी हवस से आज मासूम बालक बालिकाएं 'सरकाई लेव खटिया बारा बजे , जाड़ा लगे या किसी भी  हिंदी मराठी या किसी भाषा के हॉट कामुक गाने पर चेहेरे  पर चित्र विचित्र हावभाव करते हुवे , साथ ही न समझने वाले कामुक शारीरिक कसरते करते हुवे स्टेज शो में नाचते है.  पढाई छोड़ कर माँबाप हवस के लिये काम मजदूरी करते है, तब ये पाखंडी समाज आँख बंद करता है , इतना ही नहीं उसे बढ़ावा देता है....भोगवादी संस्कृती में सब कुछ बिकता है.....

कुछ इसी तरह माहौल आज इंडिया में जो चुनाव हो रहै उसमे बन गया है..... साम दाम भेद और दंड चतुर्मुखी हथियार के साथ साथ राजकारानी नेता लोगं  अपने ही छोटे पुत्र, कन्या बेटे बेटी  का दुरुपयोग कर रहे है.  उन्हें  प्रचार मंच पर  मतदाता को भावनिक ब्लेकमेल करने के लिए पेश किया जा रहा है.... इस चुनावी तमाशामे ये नेता लोग अपने ही छोटे छोटे बच्चों को लेकर घूम  रहै है....उनका बाल कामगार की तरह इस्तेमाल कर रहै है,  मतदार को मत देने की अपील कर रहै . और मिडिया ये तमाशा जोरशोर से दिखा रहा है....सब हथियार बेकार साबित होने के असर दिखने पर आखिर कांग्रेस ने  उत्तरप्रदेश की चुनावी तमाशे में प्रियंका गाँधी को उसके छोटे  बेटे रेहान और बेटी मिराया के साथ उतारा है.... हाँ यही है..... आज के नवीनतम बाल कामगार.....जो अपने माँ बाप, काका, नानी माँ, दादी माँ के सत्ता के लोभ के लिए चुनावी मंच पर अपना बचपन बिका रहै है. इस खेलने कूदने के दिन में वो राजनित्ती का मोहरा बन गये है.......गरीब का बेटा बाल मजदूरी करे तो उसके मालक के साथ माँ बाप को भी दंड देने का प्रावधान कानून में है......मगर इस कानून का डर बता कर नौकरशाह अपनी जेब भर रहै है.......और यहाँ तो खुद कानून बनाने वाले नेता ही अपने बालक बेटा बेटी  को मजदूरी करने को मजबूर कर रहे है तो उन्हें दंड कौन देगा.... लोकशाही के तमाशे में ये बालक तमाशबीन बन कर रह गये इसकी किसको फिकर...उन्हें तो अगले पाँच साल जनता को लूटने का मौका चाहिए.

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