Translate

Wednesday, October 10, 2012

इंडिया का आज के हालत का यथार्थ चित्रण

  इंडिया का आज के हालत का यथार्थ चित्रण
*** जिस राज्य का राजा चोर हो, वहां प्रजा से ईमानदारी की अपेक्षा करना न्यायपूर्ण नहीं है। ***
एक बार एक चोर चोरी करते रंगे हाथों पकड़ा गया। उसे राजा के सामने पेश किया गया। राजा ने उसे मौत की सजा सुना दी। फांसी का दिन निश्चित कर दिया गया। उस
दिन जब जल्लाद उसे लेने आए तो उसने कहा- मैं सोने की खेती करना जानता हूं। यदि मैं मर गया तो वह हुनर भी मेरे साथ ही खत्म हो जाएगा। जल्लादों ने यह खबर राजा को दी। राजा ने चोर को अपने पास बुलवाया और पूछा- बताओ कैसे की जाती है सोने की खेती? चोर बोला- महाराज, एक किलो सोने के सरसों जैसे दाने सुनार से बनवाकर मंगवा दीजिए और अपने ही राजमहल के प्रांगण में क्यारी बनाने की जगह मुझे बता दीजिए। जब तक सोने के दाने आएंगे, तब तक मैं क्यारियां तैयार कर लूंगा। चोर ने फावड़े से मिट्टी खोदी। फिर खुरपे और हाथों की सहायता से मिट्टी भुरभुरी की। इतने में सोने के दाने आ गए।

चोर ने राजा से कहा- मुझे अपने उस गुरु की बात याद आ गई जिनसे मैंने यह विद्या सीखी थी। चूंकि मैंने चोरी की है इसलिए मैं अपने हाथों से यह सोने के दाने नहीं बो सकता। सोने की खेती सिर्फ वही कर सकता है जिसने कभी चोरी या कोई गलत काम न किया हो। राजा शर्मिंदा होकर बोला- मैंने तो एक षड्यंत्र के तहत पहले राजा को मरवा कर राजगद्दी हथियाई थी, इसलिए मैं भी तो चोर हुआ। राजा ने एक-एक कर सभी मंत्रियों को बुलाया और सोने की खेती की शर्त बताई। लेकिन एक भी मंत्री ऐसा नहीं निकला जिसने कभी हेराफेरी न की हो। राजा चोर से बोला- यहां सभी चोर हैं इसलिए सोने की खेती नहीं हो सकती। राजा की बात सुनकर चोर बोला- जिस राज्य का राजा चोर हो, वहां प्रजा से ईमानदारी की अपेक्षा करना न्यायपूर्ण नहीं है।

No comments: